धर्मशाला. डिग्री कॉलेज पालमपुर में सात साल पहले रैगिंग के विरोध के चलते हुए हत्या के केस में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने पांच आरोपी छात्रों में से चार को दोषी करार देते हुए सोमवार को सात-सात साल की कैद और 25-25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया।
जिला उपन्यायवादी कुलदीप सेन ने बताया कि 20 अगस्त 2003 को पालमपुर कॉलेज में देर शाम गौरव सूद, सौरभ सूद, विकास चौहान, सचिन और संजीव जूनियर छात्रों की रैगिंग कर कर रहे थे। तभी पालमपुर के अमित ठाकुर, मुनीष वालिया और अजय डोहरू ने कॉलेज पहुंचकर रैगिंग का विरोध किया और छात्रों को छोड़ने की बात कही।
इसी विरोध से खफा होकर गौरव सूद व संजीव ने अमित को पकड़ लिया और विकास चौहान ने उसके पेट में चाकू से वार कर दिया। मुनीष और अजय डोहरू पर भी आरोपियों ने खुखरी से वार कर उन्हें घायल कर दिया।
घायलों को तत्काल पालमपुर अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां से अमित ठाकुर को सीएमसी लुधियाना रेफर कर दिया गया। मुनीष और अजय का पालमपुर अस्पताल में ही उपचार किया गया। घटना के 21 दिन बाद 11 सितंबर 2003 को अमित ठाकुर की सीएमसी लुधियाना में मौत हो गई, जिस पर पुलिस ने धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया था।
पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार को न्यायाधीश ने गौरव सूद, सौरभ सूद, विकास चौहान और सचिन को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। पांचवें आरोपी संजीव के घटना के समय नाबालिग होने के चलते उसका मामला जुविनल बोर्ड के समक्ष विचाराधीन है।
मृतक के पिता ने चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र
मृतक अमित ठाकुर के पिता को उस समय न्याय की आस जगी, जब हिमाचल हाईकोर्ट ने अमन सत्या काचरू रैगिंग मामले में आरोपियों की जमानत रद्द करने के आदेश पारित किए। 3 अगस्त 2010 को मृतक अमित ठाकुर के पिता आईटीबीपी के सेवानिवृत्त रविंद्र ठाकुर ने प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस मामले के पांचों आरोपियों की जमानत रद्द करने की गुहार लगाई थी।
मैं कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं हूं। मैंने अपना बेटा खोया है। दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, तभी मुझे संतुष्टि होगी।जयश्री ठाकुर, मां, अमित ठाकुर