Home » people and society » प्रभु चावला की राम कहानी

प्रभु चावला की राम कहानी

September 2010
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
27282930  

Blog Stats

  • 17,642 hits

Enter your email address to subscribe to this blog and receive notifications of new posts by email.

Join 3,629 other subscribers

Flickr Photos

 तत्कालीन पाकिस्तान के डेरा गाजीखान से दो साल का एक बच्चा विभाजन के दौरान शरणार्थी के तौर पर माता पिता के साथ भारत आया था। जमुना पार में झिलमिल कॉलोनी में परिवार को एक छोटा सा घर मिला। यह बालक अब प्रधानमंत्रियों और कैबिनेट सचिवों के साथ उठता बैठता है और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर उसके फोन पर लगभग खड़े हो कर बात करते है। जानने वाले बताते हैं कि बच्चा बड़ा हुआ और देशबंधु कॉलेज, कालका जी से पढ़ाई करने के बाद पहले एक कॉलेज में पढ़ाया और फिर पत्रकार बन गया। ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने इस बच्चे यानी प्रभु चावला को झिलमिल कॉलोनी की रामलीला में दशरथ की भूमिका करते देखा था।

लेकिन प्रभु चावला सिर्फ मंच तक ही दशरथ रह गए। बेटे अंकुर को राम नहीं बना पाए। सीबीआई की फाइलों में अंकुर चावला का नाम अमर उजाला दलाली प्रकरण के एक दलाल के तौर पर दर्ज है। अब आपको बताते हैं अमर उजाला की कहानी। 1948 मे ही जब प्रभु चावला माता पिता की गोद में सीमा पार कर के दिल्ली पहुंचे थे, आगरा में स्वर्गीय डोरी लाल अग्रवाल और स्वर्गीय एम एल माहेश्वरी ने मिल कर अमर उजाला दैनिक की स्थापना की थी और आज यह देश का तीसरा सबसे बड़ा अखबार है। अमर उजाला कुटुंब में हिस्सेदारी को लेकर झगड़ा चल रहा है और भले ही डोरी लाल अग्रवाल के पुत्र अशोक अग्रवाल कंपनी के अध्यक्ष हों मगर सबसे ज्यादा शेयर अतुल माहेश्वरी और राहुल माहेश्वरी के पास है। अशोक अग्रवाल के पास सिर्फ 17.33 प्रतिशत शेयर्स हैं। मगर हाल ही के दिनों में अशोक अग्रवाल और मनु आनंद को किनारे किया जाना शुरू हो गया था और हालत यह हो गई थी अतुल माहेश्वरी अशोक अग्रवाल के फोन, एसएमएस और ईमेल किसी का जवाब नहीं दे रहे थे। एक बोर्ड मीटिंग में अशोक अग्रवाल के बेटे मनु को बोलने भी नहीं दिया गया और तब अशोक अग्रवाल मामले के निपटारे के लिए कंपनी लॉ बोर्ड में गए।

मामले की पहली सुनवाई 28 अक्तूबर को हुई थी और दूसरी 14 दिसंबर को होनी है। अतुल माहेश्वरी पर आरोप है कि उन्होंने अंकुर चावला के जरिए कंपनी लॉ बोर्ड के सदस्य और कार्यवाहक अध्यक्ष वासुदेवन को अपने हक में फैसला सुनाने के लिए दस लाख रुपए की नकद रिश्वत दी और वासुदेवन और रिश्वत देने वाला मनोज बाठिया अब जेल में है। अंकुर चावला पर प्रभु कृपा है इसलिए वे बाहर हैं। यहां यह याद किया जा सकता है कि जब अशोक अग्रवाल के दो भाईयों अजय और सौरभ अग्रवाल ने अपने शेयर्स 160 करोड़ रुपए में बेचे थे तो अशोक अग्रवाल ने अतुल माहेश्वरी का साथ दिया था। अजय अग्रवाल भी कंपनी लॉ बोर्ड के पास गए थे और माहेश्वरी के शेयर्स खरीदने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने जी समूह से निवेश का तालमेल कर लिया था। मगर लॉ बोर्ड ने उनका यह प्रस्ताव नहीं माना।

बाद में अमर उजाला डी ई शॉ को 18 प्रतिशत भागीदारी दे कर 117 करोड़ का जुगाड़ किया। जब अमर उजाला शुरू हुआ था तो स्वर्गीय डोरी लाल अग्रवाल की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत और एम एल माहेश्वरी की 47 प्रतिशत थी। कंपनी लॉ बोर्ड ने माहेश्वरियों से पूछा कि जी समूह को चलाने वाले एस्सेल समूह की मीडिया वेस्ट कंपनी से उनका क्या समझौता हुआ है? जी अजय अग्रवाल की मदद कर रहा था ताकि वे अमर उजाला के धंधे में 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त कर सके। अजय अग्रवाल ने बोर्ड को मीडिया वेस्ट के साथ समझौते की शर्ते बता दी। इसकी सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह थी कि एक निवेश कंपनी ने कहा था कि अगर मीडिया वेस्ट 101 करोड़ रुपए यानी 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए रकम देने को तैयार हो जाए तो बाकी 60 प्रतिशत के लिए पैसा भेजेंगे।

माहेश्वरी बंधुओं के वकील ने इस पर ऐतराज किया था और कहा था कि कंपनी लॉ बोर्ड पहले ही आदेश दे चुका है कि अमर उजाला का स्वामित्व इन दोनों परिवारों के बीच ही रहना चाहिए। आरोप यह भी था कि माहेश्वरी परिवार कॉरपोरेट ढांचे को बदलने के नाम पर स्वामित्व का ढांचा बदलना चाहता है। 4 अप्रैल को लॉ बोर्ड के चेयरमैन एस बाला सुब्रमण्यन ने भी माहेश्वरियों का दावा खारिज कर दिया था और अशोक अग्रवाल से कहा था कि वे एमओयू के पूरे विवरण दें। कानूनी दांव पेंच में लगातार मार खाते आ रहे अतुल माहेश्वरी ने शॉर्टकट अपनाया और इसके लिए दलाल मौजूद थे। कंपनी सेक्रेटरी मनोज बाठिया को इस्तेमाल किया गया, प्रभु पुत्र अंकुर चावला ने दलाली की और वासुदेवन और बाठिया दोनों जेल पहुंच गए। अब कंपनी लॉ बोर्ड के नए मुखिया की तलाश की गई और हालांकि कंपनी मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि दिलीप राव देशमुख 27 नवंबर को इस पद की जिम्मेदारी संभाल लेंगे मगर अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

इस बीच वासुदेवन के खातों और तिजोरियों से रकम निकलती आ रही है। एक विदेशी कानूनी कंपनी द्वारा अंकुर चावला के जरिए अपने सीनियर एक प्रसिद्ध वकील को दो करोड़ रुपए की एक बैंटले कार भी दिए जाने की जानकारी मिली है और उसकी भी जांच हो रही है। पद्मविभूषण यानी भारत रत्न से सिर्फ एक कदम नीचे झिलमिल कॉलोनी के दशरथ प्रभु चावला हाल ही में एक समारोह में देश के सबसे अच्छे हिंदी इंटरव्यू लेने वाले चुने गए हैं और इसके लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए। बधाई उन्हें अंकुर चावला जैसे प्रतिभाशाली बेटे को जन्म देने के लिए भी मिलनी चाहिए।

लेखक आलोक तोमर हिंदी पत्रकारिता के बड़े नाम हैं. खरी-खरी लिखने-बोलने वाली अपनी शैली के कारण वे हर क्षेत्र में दोस्त और दुश्मन लगभग समान मात्रा में पैदा करते रहते हैं.

Leave a comment