शिमला. आज मां—बाप की बच्चों से इतनी अपेक्षाएं बढ़ गई हैं कि वे खुद के अधूरे सपनों को भी उनके माध्यम से ही पूरा होते देखना चाहते हैं। इसके लिए वे अपने ही लाड़लों पर इतना असहनीय मानसिक दबाव डाल रहे हैं कि बच्चे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। यह कोई कहानी नहीं राजधानी शिमला की दो छात्राओं पर बीती अविश्वसनीय मगर सत्य घटना है।
छात्राओं का कहना है कि उन पर मां—बाप पढ़ाई को लेकर आए दिन बहुत ज्यादा दबाव बना रहे थे, जिसे वे सहन नहीं कर पाए और आत्महत्या करने की ठान ली। 14—15 साल की इन लड़कियों ने मरने से पहले येस (यूथ एनलाइटनिंग द सोसाइटी) के पास जाने का फैसला किया ताकि वे आपबीती उन्हें बता सकं। सोसाइटी ने जब छात्राओं से आत्महत्या के प्रयास के पीछे कारण पूछे तो वे भी जवाब सुनकर कुछ समय के लिए दंग रह गए।
उन्होंने कहा…पढ़ाई को लेकर हम पर मां—बाप व टीचर्ज द्वारा हद से ज्यादा दबाव बनाया जा रहा था। सोसायटी व रिश्तेदारों के बच्चों से आए दिन तुलना कर उन्हें नीचा दिखाया जाता। अपमान के चलते उन्हें आत्महत्या का रास्ता आसान लग रहा है। सोसाइटी के अध्यक्ष आकर्षण चौहान ने कहा कि उन्हें सप्ताह में उनके मोबाइल फोन पर चार—पांच फोन लगातार आ रहे हैं जिसमें बच्चे इसी तरह के दबावों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों छात्राओं व मां-बाप को काउंसिल कर उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया है।
चौहान ने कहा कि बच्चों को सही काउंसलिंग मिले इसके लिए वे पांच सिंतबर से शिमला में एक हेल्पलाइन सेवा आरंभ करने जा रहे हैं। इसका नंबर 08894692269 है, उन्होंने कहा कि उन्हें फिलहाल टोल फ्री नंबर नहीं मिला है। हेल्पलाइन का नाम डायल बिफोर यू डाई विचाराधीन है।
राजधानी के विभिन्न स्कूलों में येस ने स्कूल ग्रुप तैयार करने का फैसला किया है। पढ़ाई के बोझ को कम करने के और मानसिक तनाव को दूर करने के उद्देश्य से आरंभ किए जा रहे इन ग्रुप्स में स्कूली बच्चे ही पदाधिकारी होंगे और वही सदस्य भी। मनोरंजन की विभिन्न गतिविधियों के अलावा ये ग्रुप्स मेंटल हेल्थ प्रोग्राम भी आयोजित करेंगे। सेंट थॉमस स्कूल में शनिवार से इस ग्रुप ने काम करना आरंभ कर दिया है। चैप्सली, ऑकलेंड हॉउस स्कूलों में इनका गठन अंतिम चरण पर है।
चार मामले ऐसे आए जिन्होंने जीने की उम्मीद छोड़ दी और रात दिन नशे में पड़े रहते थे। काउंसलिंग के बाद चारों युवा अभिभावकों के साथ सफल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
मनोचिकित्सक छात्र देंगे सहयोग
प्रदेश विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक विभाग के छात्र येस संस्था को काउंसलिंग में सहयोग देंगे। संस्था के अनुसार काउंसलिंग के बाद छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे। प्रारंभिक स्तर की काउंसलिग के बाद बच्चों को आईजीएमसी में मनोचिकित्सक विभाग के प्रमुख डॉ. रवि शर्मा के समक्ष बच्चों को ले जाकर उन्हें जीने की नई राह दिखाई जाएगी।